गुरुवार, 3 नवंबर 2016

***हिन्दी है हम***

***हिन्दी है हम*** 14/09/2016
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संस्कृत जननी, हिन्दी माई
अउ छत्तीसगढ़ी हे मोर दाई
नवाजूग अंगरेजी बहुरिया के
चलत हे कनिहा मटकाई ॥
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घर मा बहुँ अंगरेजिया हे
बेटा घलो परबुधिया हे
रास्ट्रभासा नईहे कोनो
तभे तो भारत इंडिया हे
.
नई चलत हे ककरो गोठ
ओकरे बोल हे सबले पोठ
कोट कचहरी ठाठ जमाए
खाके तीन तेल होगे मोठ ॥
.
समे के इही मांग हवय
बहुरिया संगे जुग चलय
लईकामन अंगरेजवा होगे
दाई के भाखा लाज लगय ॥
.
सास ससुर के दिन पहागे
जईसे संस्कृत दूर झेलागे
अंगरेजी के गर्रा-धूका म
हिन्दी ह जऊहर उड़ियागे ॥
.
कोनो कतको थाह देहत हे
बड़े-बड़े परयास होवत हे
रुख लगाए भर ले का होही
अंगरेजी के कलमी जोड़त हे ॥
-
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर ।

क्यों

क्यों 
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खुद जानते हो निर्धनता का जड़ नशा है
श्रेष्ठ चरित्र का स्त्रोत श्वते-भोजन में बसा है
तो राह सत्य की ओर मोड़ क्यों नहीं देते
मांस-मदिरा तुम छोड़ क्यों नहीं देते ?
-
मधुशाला में सुबहो-शाम दीप जलाते
कलम किताब क्रय पर कंजूसी कर जाते
बच्चों की शिक्षा पर निर्धनता बोध कराते
पिता का कर्तव्य, पहचान क्यों नही लेते ?
मांस-मदिरा.........................................
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बेटी की विवाह में खेत-जायजाद गँवा दिये
इसी बात की दिन-प्रतिदिन रट लगा लिये
आधे से अधिक धन नशा-तास पर बिछा दिये
अपनी नीचता जग-जाहिर क्यों नही कर देते ?
मांस-मदिरा...........................................
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खुदके रिस्तों-नातों पर ईर्ष्या-द्वेष भाव रखते
दिखावे पर दिन गुजारते अकड़कर सान से चलते
दाल-चावल भले ही ना रहे पिते और पिलाते
गृहस्थ-जीवन त्याग बैरागी क्यों नही बन जाते
बोझील है तुमसे धरा, संसार छोड़ क्यों नहीं देते ?
मांस-मदिरा............................................


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
9098889904

इही जिनगानी रे

मानले तै मान मलरिहा, इही जिनगानी रे..
जानले तै जानले मनवा, इही हमर कहानी रे..
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माई-पिल्ला रोज कमाथन, खेतीखार बारी पलोथन ।
तरिया तीर खड़ेहे टेड़ा, डुमत डुमत होगे बेरा ॥
जिनगी ह पहावत इसने, बड़ लागा बाढ़ी रे....
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मिरचा धनिया भाटा गोभी, करेला कुन्दरु अउहे लौकी।
रमकेलिया खड़े बिन संसो, तरोई नार बगरे हे लंझो॥
भाव निच्चट गिर जाथे ग, निकलथे साग हमर बारी रे..
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पढ़लिख के निनासतहे बेटा, खेतीखार बारी बरछा।
कुदरी-गैती नई सुहावय, बुता बनी ब ओहा लजावय॥
कोनो अब कहा तै पाबे, पढ़ेलिखे मेड़ बंधानी रे.....
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बादर ह दुरिहावत हावय, पानी घलो अब नई माड़य।
खेतखार कलपत रोवत, मनखे ल बतावत हावय ॥
अतेक बिकासे का कामके, जरगे जंगल-झारी रे...
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मानले तै मान मलरिहा, इही जिनगानी रे..
जानले तै जानले मनवा, इही हमर कहानी रे..
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

खेतखारे मा चहकत मैना

खेतखारे मा चहकत मैना, पड़की करे मुसकान रे
सुग्घर दमदम खेत मा संगी, नाचत हावय धान रे
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घरोघर कहरत माटी के भीतिहा छुही म ओहा लिपाय रे
चुल्हा के आगी कुहरा देवत, ए पारा ओ पारा जाय रे
बबा के गोरसी मा चुरत हावय, अंगाकर परसा पान रे
खेतखारे मा...................
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धान ह निच्चट छटकगे भाई आगे देवारी तिहार रे
घाम ह अजब निटोरत हावय सुहावत अमरैया खार रे
कटखोलवा रुख ल ठोनकत हावय देवत बनकुकरा तान रे
खेतखारे मा.................
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पवन ह धरे बसरी धुन ला, मन ला देहे हिलोर रे
कार्तिक बहुरिया आवत हावय, जाड़ के मोटरा जोर रे
खेत के पारे सरसों चंदैनी, लेवतहे मोरे परान रे
खेतखारे मा...................
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नदियाँ नरवा कलकल छलछल निरमल बोहावत धार रे
इही हे गंगा जमुना हमरबर शिवनाथ निलागर पार रे
सरग सही मोर गांव ला साजे, इही मोर सनसार रे.....
खेतखारे मा..............
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

मंगलवार, 23 अगस्त 2016

मोर गाॅव.................

मोर गाॅव.................

गांव के आघु भोला हे, जिहा लगथे मेला रे
गढ़ के खाल्हे तरिया हे, तीर म कनकन कुआँ हे
नईया खाल्हे हवय, डिड़ीन दाई के छांव...
आबे भईया घुमे ल, मलारे मोर गाॅव....
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माटी माटी सोना हे, धनहा हमर भुईया हे
निलागर नदिया के कोरा म, चनवरी सुननसुनिया हे
अड़बड़ अकन तरिया हे, छग म सोर हे इहाके नाव
आबे भईया घुमे ल मलारे मोर गाॅव....
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तईहाके गोठ कहत हे, सोना इहा बरसे हे
हांडी-गुन्डी खड़बड़ हे, किस्सा कहानी अड़बड़ हे,
राजा रहिच शरभपुरिया, प्रसन्नमात्र जेकर नाव
आबे भईया घुमे ल मलारे मोर गाॅव....
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मिलन मलरिहा








अटकू-बटकू, छोटकी-नोनी जऊहर धूम मचाए

अटकू-बटकू, छोटकी-नोनी जऊहर धूम मचाए
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होली के रंगोली म, हुड़दंग मचे हे भारी
छोटकी-नोनी धरे गुलाल, पोतत संगी-संगवारी
अटकू-बटकू घरले निकले, तानके रे पिचकारी
एकेच पिचका म रंग सिरागे, फेर भागे दूवारी
रंग गवागे बाल्टी ले जईसे कुँआ ले अटागे पानी
पानी के होवत बरबादी, समझगे छोटकी-नोनी
पिचकारी ल फेंक सबोझन, थइली म भरे रंगोली
नांक-गाल म पोत गुलाल, खेलत हे सुक्खा-होली
छिन-छिन बटकू घर म जाके खुर्मी-ठैठरी ल लाए
संगे बतासा भजिया सोहारी अऊ पेड़ा ल खाए
अटकू-बटकू, छोटकी-नोनी जऊहर धूम मचाए...
नंगाड़ा नइ थिरके थोरकुन, बेरा पहागे झटकुन
डनाडन बाजय गमकय, सबके कनिहा मचकुन
मंगलू कहे सुन भाई कोदू, दारु लादे-ग चिटकुन
दूनोंके तमकीक-तमका म सिन्न परगे थोरकुन
झुमा-झटकी म झगरा होगे, पुलिस-दरोगा आगे
दारु-नसा के चक्कर म, किलिल-किल्ला ह छागे
मंगलू, कोदू पुलिस देख, गिरत-हपटत ले भागे
थिरकत नंगाड़ा ह फेर अपन मया-ताल गमकाए
अटकू-बटकू, छोटकी-नोनी जऊहर धूम मचाए...
बादर होगे रंग-गुलाली, सबोजघा हे लाली-लाली
हरियर-लाली रंग पेड़के, जइसे तिरंगा हर डाली
सरग-बरोबर लगे हमर छत्तीसगढ़ अंगना-दूवारी
नसा-तिहार झीन बनावा, मया-परेम बगरावा
छोटकी-छोटकू, नोनी-बाबू ल नसा झिन बतावा
नवा-पीढ़ी ल गोली-भांग, फूहड़ीपन मत सिखावा
भरभर-भरभर जरतहे होली, सत के रद्दा देखाए
भगत पहलाद के होलिका फूफू आगी म समाए
लईकामन भगवान रुप हे, कपट-छल नई भाए
दिनभर दउड़त-नाचत-खेलत जऊहर धूम मचाए...
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rajim times//// akhari bera

नष्ट झिनकरा संगी, रुखराई वन बन---------------**घनाक्षरी**

**घनाक्षरी** vardik chhand
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नष्ट झिनकरा संगी, रुखराई वन बन

जीवजन्तु कलपत, सुनले पुकार रे !

प्राण इही जान इही, सुद्ध हवा देत इही

झिन काट रुखराई, अउ जंगल खार रे !

कल-पत हे चिराई, घर द्वार टूटे सबो

संसो-छाए लईका के, आंसु के बयार रे!

जीव के अधार इही, नानपन पढ़े सबो

आज सबो पढ़लिख, होगे हे गवार रे!
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पर घर नास कर, छाबे जब घर संगी
काहापाबे सुखसांती, बिछा जही प्यार रे!

अपन बनौकी बर, दुख तैहा ओला देहे

भोग-लोभ करकर , बिगा-ड़े संसार रे

सबोके महत्व हे जी, खाद्य श्रृंखला जाल म

छोटे नोहै कहुं जीव, करले बिचार रे !

नदि नाला जंगल ले, उपजे गांव गांव ह

रुखराई जीवजन्तु, आज तै सवार रे !

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मिलन मलरिहा

AA Ge He Ashad

****दैनिक भास्कर*****
**(संगवारी) 5-7-16**

धरके रपली------ kundaliya Chhand

धरके रपली जाँहुजी, खेत मटासी खार ।
भरगे पानी खेत मा, बगरे नार बियार।।
बगरे नार बियार, लकड़ी झिटका टारहू ।
अघुवगे सब किसान, खातु लऊहा डारहू।।
मिलन मन ललचाय, चेमढाई भाजी टोरके।
बने मिले हे आज, कोड़िहव रपली धरके ।।

मिलन
मलरिहा

Mati Ke Mitan

//////***विषय- **फुटु***///////

/////**** कुण्डलियाँ****/////
//////***विषय- **फुटु***///////
-
पैरा के कोठार मा, फुटू पाएन आज ।
छाता ताने कम रहिस, डोहड़ु डोहड़ु साज।।

डोहड़ु डोहड़ु साज, सुग्घर चकचक चमकथे।
जेदिन चुरथे साग, पारा परोस ललचथे ।।
देखे आथे रोज, झांकत कोलहू भैरा ।
फुटू साग के आस, उझेले खरही पैरा ।।
-
चुरके चिटिकन माड़थे, काला देबो साग ।
पाइ जाबे रे तहु फुटु, भिन्सरहे तो जाग।।
भिन्सरहे तो जाग, घपटे फुटु सुवर्ग सही।
लगे पैरा म आग, सावन के परेम इही ।।
कहत मलरिहा रोज, खार जा कुदरी धरके।
बनफुटु बड़ घपटाय, अब्बड़ मिठाथे चुरके।।


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर



क़लाम जइसे बन जाबे 30-7-16 kirandoot

* हरेली तिहार** कुण्डलियाँ

////***कुण्डलियाँ*** हरेली तिहार**////
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
रिचपिच रिचपिच बाजथे, गेड़ी ह सब गाँव।
लइका चिखला मा कुदे, नई सनावय पाँव ।।
नई सनावय पाँव, गेड़ी ह अलगाय रथे ।

मिलजुल के फदकाय, चाहे कतको सब मथे।।
मलरिहा ल कुड़काय, तोर ह बाजथे खिचरिच।
माटी-तेल ओन्ग, फेर बाजही ग रिचपिच ।।
/
जीत खेलत सब नरियर, बेला-बेला फेक ।
दारु-जुँवा चढ़े हवय, कोनो नइहे नेक ।।
कोनो नइहे नेक , हरेली गदर मचावत ।
करके नसा ह खेल, घरोघर टांडव लावत।।
मलरिहा ह डेराय, देखके दरूहा रीत ।
नसा म डुबे समाज, कईसे मिलही ग जीत ।।



मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर 
Copyright@milan-malariha/blog
Date-2nd Aug 2016 --12:40

''''''ढेकी''''''

बुधवार, 8 जून 2016

बहनी एक बनाले

कालेज जाके तैहा संगी, बहनी एक बनाले
हो जाही पढ़हाई सफल, इही गीत ल गाले
दोसती यारी उलझाही, पिच्चर तोला देखाही
मोबाईल म गोठ कर-करके रोज तोला घुमाही
जिनगी म का रखे हे यार... कहिके समझाही
बिड़ी सिकरेट दारु बीयर पहली सब सिखाही
इहीच बिगड़े के पहली रद्दा, एकरे ले दूरिहाले
कालेज जाके तैहा ..................................

उमर होथे लटर-पटर के, कालेज ओही कहाए

20-21 के उमर होथे, गोड़ तरी बिच्छल आए
खिचाव-तिराव म जाए मन, रखव ग समझाए
पढ़हाई बेरा एकेचबार आथे, एला झीन भुलाए
मटरगस्ती बर उमर पड़ेहे, मन ला संगी मनाले
कालेज जाके तैहा ..................................

कम्पटीसन हे गलफरेन्ड बर सबो हे झोरसाय

खुद ल हीरो देखाय खातिर करत सकल उपाय
झन मिलय फारम खुदबर, ओकर बर भिड़ाय
पढ़हाई के आधा बेरा इसने बुता म निकल जाय
सुन ले भाई मलरिहा गोठ, अपन माथा म घुसाले
कालेज जाके तैहा ....................................

दाई-ददा ह बुढ़वा होगे, थोरकुन तैहां बिचारले

बेरा निकलत दउड़त भागत, सही काम म लगाले
पास होए म का धरे हे परसेन्ट ल घलो सुधार ले
गरीब के बेटा हवच रे, पढ़ाई-गढ़ाई दुनो ल धरले
नऊकरी बर भीड़ लगे हे, लाखों म जघा बनाले
कालेज जाके तैहा .......................................
कालेज जाके तैहा संगी, बहनी एक बनाले
हो जाही पढ़हाई सफल, इही गीत ल गाले

मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

**कहाँ गंवागे मोर गांव**

**आखरी बेरा** 2

**आखरी बेरा**
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काबर मति छरियाथच बबा
तोरगोठ कोनो नइ मानय जी
उमर खसलगे झीन गुन तैहा
बिगाड़य चाहे जतनय जी
दिन उंकरे हे मानले तय
संसो टारके चुप देखव जी
करेनधक सियानी नवाजूग हे
कलेचुप किस्सा सुना जी
तोर बनाए नइ बनय कछु
फेर का बात के मोह तोला
का बात के मया जी
का बात के गरभ हे सियान
मोला तय बताना जी......
.
कतेक रुपिया कतेक पईसा
कतेक साईकिल गाड़ा भईसा
ए जिनगी के ठुड़गा बमरी
एकदिन चुल्हा म जोराही
जाए के बेरा अकेल्ला जाबे
कोनो संग म नई जाही
जिनगी के आखरी बेरा
सब्बो दूरिहा हट जाही
दूई दिन रो-गा के ओमन
महानदि म तोला फेक आही
दसनहावन म जम्मो जुरके
तोर बरा सोहारी ल चाबही
फेर का बात....................
.
तय ह सिधवा गियानी बने
लईका होगे आने- ताने
चारो कोती तय मान कमाएँ
नाती-पोती सब धूम मचाएँ
बनी-भूति, कमा-कोड़ के
खेत बारी-भाठा ल सकेले
टूरा-टूरी फटफटी खातिर
छिनभर म ओला ढकेले
तोर खुन-पसीना के कमाई
किम्मत दूसर का जानय जी
फेर का बात....................
.
गाँव गाँव तोर गियान फइले
घरो-घर तोर बात म चले
अपन घर-छानही धूर्रा मईले
जइसे दिया तरी मुंधियार पेले
अब कब आही तोर घर अंजोर
बइठके डेहरी करत सोंच
अंगाकर रोटी ल टोर-टोर
चार कोरी बेरा जिनगी पहागे
नाती छंती के दिन आगे
अब बनावय चाहे बिगाड़य जी
फेर का बात....................
)
मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर

** मोर बहरा खार म रोवत हे रुख—राई **

''*******बेटी के दुख******'' 1-6-16

शुक्रवार, 4 मार्च 2016

****आगे बसंत सरसरी हवा**** 2 --------------------kirandoot

******खुद ल गरीब बताथच******

CG

'''कलेवा'''

-------------// '''कलेवा'''//---------------
***************छत्तीसगढ़ी****************
******************दोहा*******************
.

*कलेवा कहा ले पान*
*कइसे गाय बचान* //दोहा//धन्द
___________________________
----------// '''कलेवा'''//गाय//--------
1//सतजुग मा  रहीस धरम, बहुते पहुना आय।
मानय पहुना देवता, घर—घर भोज खवाय।।
2//सादा भोजन मा बसे, कलेवा रस समाय।
हिरदय गदगद हो जयव, भरभर थारी पाय।।
3//कलजुग मनखे नव करम, पहुँना बन ललचाय।
दारु मुरगा लानबे, तभेच गुन ला गाय।।.
4//बीही आमा कलिनदर, असल मेवा कहाय।
मेवा मानत आजके, पाउच गुटखा ताय।।
5//थूंकत खावत रातदिन, सबोझन हे मताय।.
इही कलेवा मानजी, कलजुग इही बनाय।।
6//मेवा छनथे  घीव मा,  घीव कहाले लान ।
दुध पीरोथे धीव ला, दुध कहाले पान ।।
7//दुध देवइया गाय हे, लेवत ओकर जान।
अमृत मेवा छोड़के, वीस खाय इन्सान।।
8//माता जेला कहत हन, पाछु परे सैतान ।
मनखे इहिला खात हे, कइसे गाय बचान ।।.
-------------------------------------
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

***बीचार***

***बीचार***
""""""""""""""
कतको बढ़ीहा काम करन
सबोबर सुघ्घर नई बन सकन
कहूँ ह गारी देथे कहूँ ह जलथे
कहूँ ह चाली त कहूँ चमकाथे
आनीबानी-गोठ कहिके लड़वाथे
कछू काम कर दस खड़ा हो जाथे
अपन काम छोड़ तोर ल बिगाड़थे
जाने ओला का सकुन मिल जाथे
कभु मिलेजुले नई हे तेन मनखे
काबर हमला बईमान बताथे
किसम किसम के मनखे ए जग म
सबके हिरदय नई जीत सकन
हम कतको बड़ीहा रहीन
सबोबर सुघ्घर नई बन सकन
......................नई बन सकन
......................नई बन सकन
.
.
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

राजभाषा आयोग KORBA



BETI ke DUKH

gada ravan

padhai le man jor le

... आगे बसंत सरसरी हवा.....

सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

***जिनगी के बोझा***



***जिनगी के बोझा***
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''

*****************दोहा*******************

नोनी बहनी नोहय ग, जिनगी के रे बोझ !
टूरा मनतो मारथे, कहू निकलथे सोझ !!
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बदला बिचार खूदके, बेटा बड़ाहि कूल !
अबके लइका टांगथे, दाई ददा ल सूल !!
-
बोझ असल ओहीच हे, देत बुढ़ापा छोड़ !
भारी होथे दुख दरद, खसलत जिनगी मोड़ !!
-
कपूत आके मेटथे, घर कुरिया अउ खेत !
गुनले तैहा जीवन म , बने लगाके चेत !!
-
बड़े अमर-बेले जरी, दुसर खून चूसाय !
असल बोझ सनसारके, जेन लूट के खाय !!
-
आपी सोचा बोझ हे, कोन सकल संसार !
ओही जाने बोझ ला, भोगय दूख अपार !!
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
Photo//Google

**कवि मोला झिन कईहा संगी** मयतो एक छत्तीसगढ़िहा अव-

****आगे बसंत सरसरी हवा****


** का काम के ? **

******खुद ल गरीब बताथच******

चार दिन के हासी ठीठोली ल मया झीन कहिबे


चार दिन के हासी ठीठोली ल
मया झीन कहिबे
-
छइहा म तो सबों मीठ गीत ल
सुघ्घर राग म गाथे
-
जिनगी म घाम—आच आए ले
बड़े—बड़े पलातान हो जाथे
-
मया के खालहे दूख के चिखला
जेन ह एला सहिथे
-
अटल मयारु सबो बताथे
खड़बड़—खईया रद्दा ले दूरिहाथे
-
हरियर तन के लालची मन
देवदास बने फिरथे
-
चसमा टोपी जिन्स पहिरे
लुभावन मया जताथे
-
बिपत परे म ओही देवदास संगी
कलेचुप खसक जाथे
-
पढ़हार्इ् लिखाई के दिन म तै
साहरुक सलमान के गोठ टमरे
-
इसटाइल मरवईया मयारु
जिनगी के दूख कईसे सहिबे
-
चार दिन के हासी ठीठोली ल
मया झीन कहिबे ।।
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

लेवा आज फेर पढ़हव हमर छत्तीसगढ़ी भाषा के दरद ल सकेले मोर रचना.......

सोमवार, 11 जनवरी 2016

नवा बछर

नवा बछर म जून्ना कलेण्डर बदले भर ले का होही ?

बदलना हे त बीचार ल बदल समाज के मान होही

नसा कूबूध बुराई ल भेज दे 2015 के संगे

परघा सत ईमान अंजोर जीनगी उजियार होही

परन करले नवा बछर म गलती म सुधार लाबो

मया पीरित के गांव गलि म सुघ्घर किरतन गाबो

तोर मोर खचवा डबरा ल झांके ताके ले का होही ?

जाड़ म ठुठरत डोकरी डोकरा परे हे घर के कोन्टा

जग ल मेसेज भेजे अउ गिफ्ट देहे भर ले का होही ?

नवा बछर म जून्ना कलेण्डर बदले भर ले का होही ?
/
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

**कवि मोला झिन कईहा**

**कवि मोला झिन कईहा**
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कवि मोला झिन कईहा संगी
मयतो एक छत्तीसगढ़िहा अव
नांगर के जोतईया मय ग
बईला-भईसा के चरईया अव
कवि मोला..........................


चटनी बासी के खवईया मय ह
बर-छाईहा के सुतईया अव
फदके झगरा- लड़ाई हे कहूँ त
सबो के मय समझईया अव
कवि मोला..........................


मय तो मया बगरईया अव
दूखपीरा के पियईया अव
बुता-बनी कमईया अव ग
सबके बोझा बोहईया अव
कवि मोला..........................


मोटर न सईकल मोर दूवारी
उखरा गोड़ के चलईया अव
रेंगईया अव कई कोस मय हर
मूड़ी म खुमरी के बंधईया अव
कवि मोला..........................


बेलासपुर मल्हारे रहईया मय ह
निच्चट छत्तीसगढ़ी बोलईया अव
मनदिर मसजीद जवईया नोहव
दाई ददा के गोड़ चपकईया अव
कवि मोला..........................
/
/
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

जिनगी म का हे ?**

**जिनगी म का हे ?**
"""""""""""""""""""""
जिनगी म का हे
मेलजोल अउ मया हे
सबले हासना गुठीयाना हे
इही तो जिनगी के खजाना हे
सब मनखे मनखे एकेच समाना हे।
जिनगी म.......................................

जिनगी म का हे
सबके आसिरवाद हे
सुखदूख के छईहा अउ घाम हे
आना जाना सबो के एके समान हे
खचवा डिपरा त कहू पाठेपाठ बरोबर हे।
जिनगी म............................................

जिनगी म का हे
मया अउ पीरा बड़ हे
एकर चक्का नर अउ नारी हे
एहर तो गाड़ी हे सबो परवार सवारी हे
एकाक चक्का टूटथे गिरथे मुड़भरसा-उतानी हे।
जिनगी म...................................................

जिनगी म का हे
दूखदरद के हिस्सा हे
सबके अपन अपन किस्सा हे
कहूँ चटनी कहूँ मेवा कहूँ सुख्खा रोटी हे
कहूँ जूवा कहूँ दारु सबोके दूख सहइया बेटी हे।
जिनगी म...................................................

जिनगी म का हे
कहू लीम कहू बरछाव हे
ओतकेकन सुख ओतकेकन घांव हे
सबला तो जाना हे त काबर गरभ- ताव हे
ए ठुड़गा बमरी ल ऐकदिन चूल्हा म जोराना तो हे।
जिनगी म......................................................

मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

नवा बछर म का चरित्तर आगे


मिलन मलरिहा's photo.

**नवा बछर म का चरित्तर आगे **

   """""""""""""...""""""""""""""""
2015 म लईका अउ जवान
सबो बेरा मोबाइल के धियान
इन्टरनेटवा बनगे सबके परान
अब 2016 म थीरी-जी छागे
जेमा डोकरा मन घलो झोरसागे
नवा बछर म का चरित्तर आगे ?


नवा जूगके इही भगवान बनगे
इनटरनेट के नदिया बोहागे
गाँव गलिखोल सबो समागे
वाट्सेफ धून घरोघर मतागे
दूनियाभर ह इही म बोजागे
नवा बछर म.......................

डोकरा लईका सियान भाए
दाई-ददा ह घलो मूड़ी नवाए
मोर बबा घलो गुरुफ बनाए
गुरुफ म एडमिन नाव रखागे
नवानवा दोस्ती-यारी छागे
नवा बछर म.......................

कापी पेस्ट ल रोज पेलत हे
एति के ओति ओहर ढिलत हे
महिना म कई हजार फूकत हे
गुरुफ गुरुफ म नाव बड़त हे
मुड़ी म ओखर इन्टरनेट जागे
नवा बछर म.......................

आनिबानी के सनिमा देखत हे
फोन ल दिनभर लाॅक करत हे
डर म मोर लुकावत चपकत हे
उमर के ओला फिकर नई हे
धान बेच मोबाईल खरिदागे
नवा बछर म.......................

पोरफाईल म तो जवान देखात हे
वाट्सेप संगे फेसबूक चलात हे
दूनियाभर ल लाईक मारत हे
बने-बने ल जी सेयर चपकत हे
संगी-यारी के फाईल टैग पेलागे
नवा बछर म...........................

गांव भर के फेसबूक पेज बनाए
मोबाईल संगे लेपटाॅप बिसाए
बबा गाँव म ब्राडबेन्ड लगवाए
वाई-फाई ल पूरा गाँव बगराए
नेट चलवईया जागरुक होगे
गाॅवभर बबा ल सरपंच जितागे
नवा बछर म...........................


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर