धरके रपली जाँहुजी, खेत मटासी खार ।
भरगे पानी खेत मा, बगरे नार बियार।।
बगरे नार बियार, लकड़ी झिटका टारहू ।
अघुवगे सब किसान, खातु लऊहा डारहू।।
मिलन मन ललचाय, चेमढाई भाजी टोरके।
बने मिले हे आज, कोड़िहव रपली धरके ।।
।
मिलनमलरिहा
भरगे पानी खेत मा, बगरे नार बियार।।
बगरे नार बियार, लकड़ी झिटका टारहू ।
अघुवगे सब किसान, खातु लऊहा डारहू।।
मिलन मन ललचाय, चेमढाई भाजी टोरके।
बने मिले हे आज, कोड़िहव रपली धरके ।।
।
मिलनमलरिहा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें