शुक्रवार, 4 मार्च 2016

'''कलेवा'''

-------------// '''कलेवा'''//---------------
***************छत्तीसगढ़ी****************
******************दोहा*******************
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*कलेवा कहा ले पान*
*कइसे गाय बचान* //दोहा//धन्द
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----------// '''कलेवा'''//गाय//--------
1//सतजुग मा  रहीस धरम, बहुते पहुना आय।
मानय पहुना देवता, घर—घर भोज खवाय।।
2//सादा भोजन मा बसे, कलेवा रस समाय।
हिरदय गदगद हो जयव, भरभर थारी पाय।।
3//कलजुग मनखे नव करम, पहुँना बन ललचाय।
दारु मुरगा लानबे, तभेच गुन ला गाय।।.
4//बीही आमा कलिनदर, असल मेवा कहाय।
मेवा मानत आजके, पाउच गुटखा ताय।।
5//थूंकत खावत रातदिन, सबोझन हे मताय।.
इही कलेवा मानजी, कलजुग इही बनाय।।
6//मेवा छनथे  घीव मा,  घीव कहाले लान ।
दुध पीरोथे धीव ला, दुध कहाले पान ।।
7//दुध देवइया गाय हे, लेवत ओकर जान।
अमृत मेवा छोड़के, वीस खाय इन्सान।।
8//माता जेला कहत हन, पाछु परे सैतान ।
मनखे इहिला खात हे, कइसे गाय बचान ।।.
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

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