गुरुवार, 21 जुलाई 2022

परदेशी राम वर्मा ( छत्तीसगढ़ के मुंशी प्रेमचंद) pardeshi Ram verma - art milan malariha





 छत्तीसगढ़ के मुंशी प्रेमचंद, कथाकार, उपन्यासकार, भाषाविद, स्व. कवि पवन दीवान के खास संगी, छत्तीसगढ़ के रत्न आदरणीय परदेशी राम वर्मा जी ल जन्मदिन के कोटी कोटी बधाई अउ शुभकामना....सादर प्रणाम 🙏
विशेष :-
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सम्मान : ‘पंडित सुंदरलाल शर्मा राज्य अलंकरण-2013

पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय द्वारा 2005 में  "बख्शी साधना सम्मान"

प्रथम महंत अस्मिता सम्मान..

 म.प्र. शासन के संस्कृति विभाग का सप्रे पुरस्कार

अखिल भारतीय प्रेमचंद सम्मान-2008..

छत्तीसगढ़ प्राईड अवार्ड-2014..

हिंदी की पाँच कहानियों को अखिल भारतीय पुरस्कार। 

वर्मा जी ने कहानियों का बांग्ला, तमिल, उडि़या एवं मराठी में अनुवाद किया।
परदेशी राम वर्मा जी की अनेक रचनाएँ विभिन्न पाठ्यक्रमों में सम्मिलित हैं.....
अतः आदरणीय परदेशी राम वर्मा छत्तीसगढ़ से पद्मश्री के हकदार है।
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर छत्तीसगढ़।

रविवार, 13 फ़रवरी 2022

भारत रत्न लता मंगेशकर

कोकिल कंठी, भारत रत्न लता मंगेशकर जी ल

विनम्र श्रद्धांजलि:

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मध्यप्रदेश इंदौर रियासत के नाम जइसे ही मन मा आथे, सुध-बुध मा संगीत-साहित्य के संचार हो जाथे। ये रियासत हा बड़े बड़े साहित्यकार, अभिनेता, कवि, संगीतकार ला जनम दे हे। इही रियासत मं 28 सितंबर सन् 1929 मं प्रसिद्ध मराठी संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के घर पहली संतान के रूप मं लता मंगेशकर के जनम होइस। पिता, संगीतकार होय के कारण घर मं साहित्य, संगीत के कक्षा निरंतर चलत रहय इही कारण बचपन ले लता के संगे-संग आशा, मीना, उषा अउ हृदयनाथ मंगेशकर पांचों बहन-भाई ला संगीत कला विरासत मं मिलिस। लता जी बचपन ले ही गायिका बनना चाहत रहिस। निर्माता कुंदन लाल सहगल के फिल्म “चंडीदास” ले लता बहुत प्रभावित होइस।

एक दिन पिता के अनुपस्थिति मं संगीत कक्षा लता जी ल देखना पड़गे। सबों विद्यार्थी लता जी के स्वर-साधना मं झूमगे। पिता जी बेटी लता के संगीत स्वर ज्ञान देख अचंभित होगे। अउ कक्षा के दुआरी मं तब तक खड़े रहिस, जब तक संगीत पाठ समाप्त नइ होगे। दीनानाथ जी ला बेटी के भीतर सरस्वती पाके बड़ गर्व होइस।

फिल्म-कीर्ति मं लता जी पहली बार गायिका के रुप काम करिन।  पिताजी नइ चाहत रहिस कि लता फिल्म-संगीत के दुनिया मं कदम रखय। पिता के अनुरोध मं फिल्म ले लता के आवाज हटाए बर पड़िस।

1950-55 के दशक मं फिल्म दुनियां ल हर कोई पसंद नइ करत रहिन। फिल्म मं बेटी जात के  काम करना एक अच्छा घर खानदखान के पहचान नइ माने जाय।

फेर समय ल कोन जानथे, जेन जेकर बर बने रथे ओला बनाय बर समय खुद रद्द बना देथे। 1942 मं पिता के 41 वर्ष के उम्र मं असमय निधन के कारण घर के आर्थिक स्थिति खराब होंगे। चारों भाई बहन मन के पालन-पोषण की जिम्मेदारी के चिंता बड़े दीदी लता ऊपर आगे अइसन परिस्थिति मं बेटी लता,बेटा बनके घर के भार ला बोहलिस।

 परिवारिक जिम्मेदारी खातिर लता जी ला हिंदी और मराठी फिल्म मं काम करना पड़िस। अभिनेत्री के रूप मं उंकर प्रथम फिल्म मंगलागौर रहिन। 1952 मं फिल्म *बड़ी मां* मं लता जी नूरजहां के संग अभिनय करिन। स्वर के रानी ला भला फिल्म अभिनेत्री के रूप मं कइसे मया मिलय? ओला तो संगीत के सिन्हासन मं बईठना रहिस। 1942 मं लता जी के गायन शैली, मधुर कंठ सबके सामने आगे।

फिल्म *महल* के गीत- “आयेगा आनेवाला” सबके जुबान मं आगे। ये फिल्म लता के संगे संग अभिनेत्री मधुबाला घलो ला प्रसिद्ध बनादिस। एंकर बाद एक ले बढ़के एक हीट गीत मं लता जी के नाम लीखागे ।  लता जी कोरी भरके भाषा ले भी ज्यादा भाषा मं 40,000 ले भी ज्यादा गीत गा चूके हे। दुनिया मं सबले ज्यादा गीत गायन के गिनीज बुक रिकॉर्ड घलो उंकर नाम हे।

बछर 1958 ले 1962, 1965, 1969, 1993 अउ 1994 मं लगातार फिल्म फेयर पुरस्कार मिलिस।

 संगे-संग पद्म भूषण, दादा साहब फाल्के, राजीव गांधी पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण जिसे विशिष्ट पुरस्कार उंकर झोला मं हे।   आत्मा ही का नाम ले पुरस्कार की घोषणा अलग स्थान देते लता मंगेशकर फिल्म इंडस्ट्री के व्यक्तित्व भारत दादा साहब फाल्के पुरस्कार के विद्यालय के

लता मंगेशकर फिल्म इंडस्ट्री के पहली अइसन व्यक्तित्व आय जेन भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार ले विभूषित हे। लता जी छ: भारतीय विश्वविद्यालय के साथ न्यूयार्क विश्वविद्यालय ले डी.लिट. के मानद उपाधी ले विभूषित हे। लता जी के जित्ते-जियत उंकर नाम ले पुरस्कार के घोषणा उॅंनला विशिष्ट दर्जा वाले पहली पंक्ति मं खड़ा करथे। अइसन विभूति के जगह भविष्य पर कोई ले नइ सकय। 6 फरवरी 2022 के दिन भले उंकर शरीर पंचतत्व मं मिलगे फेर कलाकार कभू मरय नही वो सदा अमर रथे। अइसन व्यक्तित्व, स्वर के देवी ला मोर शत शत नमन।

✍️मिलन मलरिहा

मल्हार बिलासपुर छत्तीसगढ़


गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

छत्‍तीसगढ़ी के यशस्‍वी कवि दानेश्वर शर्मा

छत्‍तीसगढ़ी के यशस्‍वी कवि दानेश्वर शर्मा

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हिन्‍दी अउ छत्‍तीसगढ़ी के यशस्‍वी कवि दानेश्वर शर्मा जी के जन्म 10 मई 1931 ग्राम मेडेसरा, जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) (म.प्र.) मं होइस । पिता के नाम पं. गंगा प्रसाद द्विवेदी अउ माता श्रीमती इन्दिरा द्विवेदी।  दानेश्‍वर शर्मा,बी.ए. एल.एल.बी. वकालत के बाद भिलाई इस्पात संयंत्र 

के संपादकीय विकास विभाग मं प्रबंधक के पद मा अपन सेवा दिस। हिन्‍दी, छत्‍तीसगढी ,अंगेजी अउ संस्‍कृत भाषा मं  सतत मौलिक लेखनी अउ मिलनसार व्यक्तित्व हा ओला अखिल भारतीय स्तर के साहित्यकार के रुप मं स्थापित करिस। 

 शर्मा जी के साहित्य लेखन 1955 मं आरंभ होइस। उंकर पहली रचना #बेटी_के_बिदा 1966 ई. मं सबके सामने आइस।  लोककला ला मूल स्वरुप मं सकेले के उदिम वाले विचारधारा ही ओला चंदैनी गोंदा के सर्जक #दाऊ_रामचन्द्र_देशमुख अउ डाॅ. खूबचंद बघेल के समविचारिक बनाथे। बघेरा के काव्य गोष्ठी मं दाऊ जी संग एतिहासिक छायाचित्र (डाॅ. सुरेश देशमुख के किताब - चंदैनी गोंदा) मन एंकर पुष्टि करथे। 

दानेश्वर शर्मा जी के रचना के प्रकाशन अखण्‍ड ज्‍योति, 

नागपुर टाइम्‍स (अंग्रेजी दैनिक) साप्‍ताहिक हिन्‍दुस्‍तान, ब्लिट्ज, धर्मयुग, स्‍थानीय पत्र-पत्रिका मनके संगे संग प्रसारण दूरदर्शन, आकाशवाणी केन्द नागपुर, रायपुर, भोपाल, इंदौर, रीवां, छतरपुर,  इलाहाबाद के  केन्‍द्र ले सरलग होवत रहिस।

 दैनिक भास्‍कर अउ नव-भारत दैनिक मं तीन साल ले  लोक दर्शन नाम ले उॅंकर ललित निबन्‍ध स्तंभ लेखन बड़ लोक प्रचलित होइस।


प्रकाशित पुस्‍तक--

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 #छत्‍तीसगढ_के_लोक_गीत (विवेचना  सन् 1962), 

#हर_मौसम_में_छन्‍द_लिखूंगा (हिन्‍दी गीत संग्रह सन् 1993), 

#लव_कुश -(खण्‍ड काव्‍य सन् 2001), 

#लोक_दर्शन (अनेक धर्म दर्शन व परब-तिहार बर निबंध संग्रह, सन् 2003) 

#तपत_करू_भई_तपत_कुरू ( छत्‍तीसगढ़ी कविता संग्रह --2006) 

#गीत_अगीत  (हिन्‍दी काव्‍य संग्रह -सन्  2007)


रविशंकर विश्‍वविद्यालय के एम.ए. (हिन्‍दी) के लोक साहित्‍य विषय  निर्धारित छत्‍तीसगढी काव्‍य संकलन वर्तमान मं निर्धारित छत्‍तीसगढी भाषा अउ साहित्‍य किताब मन मं घलो शर्मा जी के कवितामन संग्रहित हावय।


शर्मा जी के लेखन आभा छत्तीसगढ़ भारत मं तो हवय ही संगे संग देश ले बाहिर भी छाप छोड़े हे। जइसे शिकागो विश्‍वविद्यालय ले प्रका‍शित रिवोलुशनिज्‍म इन छत्‍तीसगढ़ी पोएट्री मं घलो मिलथे। शर्मा विश्‍व प्रसिद्ध संस्‍था फोर्ड फाउन्‍डेशन ले प्रकाशित 11 पुस्‍तक के संपादक सलाहकार घलो रह चूके हे।

छत्‍तीसगढ मं ग्रामोफोन रिकाडर्स के कैसेट के ओ समय भारी चर्चा रहिस जेमा शर्मा जी के सर्वाधिक गीत के रिकार्डिंग होय रहिस जेला स्वर देके बैतलराम साहू छत्तीसगढ़िया किशोर कुमार के नाम ले मशहूर होइस। 

 ओ बेरा देश के सबले प्रसिद्ध कंपनी  हिज मास्‍टर्स वायस (कलकत्‍ता)।  म्‍यूजिक इंडिया- पोलीडोर (मुंबई),  सरगम- रिकार्डस -(बनारस) अउ वीनस कैसेट्स (मुंबई) मं छत्तीसगढ़िया रंग चढ़िस।

छत्तीसगढ़ी फीचर फिल्‍म मोर धरती मईया मं  इंकर गीत आपमन जरुर सुने होहा।


भिलाई इस्‍पात संयंत्र मं प्रतिवर्ष आयोजित #छत्‍तीसगढ़_लोक_कला _महोत्‍सव हा शर्मा जी के देश आय। इही मंच ले पंथी नर्तक देवदास, पंडवानी गायिका पदमभूषण तीजन बाई, रितु वर्मा जइसे अनेक कलाकार मनला देश-प्रदेश पहुचाॅंइस अउ राष्‍ट्रीय सम्‍मान इंकर झोला मं लाके रखिस। 

श्री दानेश्‍वर शर्मा जी श्रीमदभागवत महापुराण के श्रेष्ठ कथावाचक के रुप मं घलो देश में प्रसिद्ध रहिस, ओला

 सन् 2006 मं  राष्‍ट्रपति के द्वारा साहित्‍य सम्‍मान प्राप्‍त होइस अउ सन् 2007 मं अमेरिका के न्‍यूयार्क शहर मं आयोजित आठवईयां विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन मं छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधित्व करें के अवशर मिलिस।


शर्मा जी के प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीत--

१ दाई ओ ददा गो लइका बर फुग्गा ले दे...

२ मोर सारी परम पियारी....

३ लाखों मं एकझन हावै गा मोर समधिन..

४ तपतकुरु भइ तपतकुरु बोल रे मिट्ठू ...

श्री दानेश्वर शर्मा जी के साहित्यिक गुरु जनकवि कोदूराम दलित जी रहिन।

1955 ले साहित्य के सतत सेवा करत, छत्तीसगढ़ राजभाषा के पदेन अध्यक्ष (द्वितीय) के रुप मं छत्तीसगढ़ी के सेवा करके आज रतिहा दिनांक 03-02-2022 श्री दानेश्वर शर्मा जी छत्तीसगढ़ साहित्य संसार ले विदा होगे।

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आलेख -

✍️मिलन मलरिहा

04/02/2022