सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

चार दिन के हासी ठीठोली ल मया झीन कहिबे


चार दिन के हासी ठीठोली ल
मया झीन कहिबे
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छइहा म तो सबों मीठ गीत ल
सुघ्घर राग म गाथे
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जिनगी म घाम—आच आए ले
बड़े—बड़े पलातान हो जाथे
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मया के खालहे दूख के चिखला
जेन ह एला सहिथे
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अटल मयारु सबो बताथे
खड़बड़—खईया रद्दा ले दूरिहाथे
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हरियर तन के लालची मन
देवदास बने फिरथे
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चसमा टोपी जिन्स पहिरे
लुभावन मया जताथे
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बिपत परे म ओही देवदास संगी
कलेचुप खसक जाथे
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पढ़हार्इ् लिखाई के दिन म तै
साहरुक सलमान के गोठ टमरे
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इसटाइल मरवईया मयारु
जिनगी के दूख कईसे सहिबे
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चार दिन के हासी ठीठोली ल
मया झीन कहिबे ।।
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

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