मंगलवार, 23 अगस्त 2016

//////***विषय- **फुटु***///////

/////**** कुण्डलियाँ****/////
//////***विषय- **फुटु***///////
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पैरा के कोठार मा, फुटू पाएन आज ।
छाता ताने कम रहिस, डोहड़ु डोहड़ु साज।।

डोहड़ु डोहड़ु साज, सुग्घर चकचक चमकथे।
जेदिन चुरथे साग, पारा परोस ललचथे ।।
देखे आथे रोज, झांकत कोलहू भैरा ।
फुटू साग के आस, उझेले खरही पैरा ।।
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चुरके चिटिकन माड़थे, काला देबो साग ।
पाइ जाबे रे तहु फुटु, भिन्सरहे तो जाग।।
भिन्सरहे तो जाग, घपटे फुटु सुवर्ग सही।
लगे पैरा म आग, सावन के परेम इही ।।
कहत मलरिहा रोज, खार जा कुदरी धरके।
बनफुटु बड़ घपटाय, अब्बड़ मिठाथे चुरके।।


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर



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