मंगलवार, 23 अगस्त 2016

मोर गाॅव.................

मोर गाॅव.................

गांव के आघु भोला हे, जिहा लगथे मेला रे
गढ़ के खाल्हे तरिया हे, तीर म कनकन कुआँ हे
नईया खाल्हे हवय, डिड़ीन दाई के छांव...
आबे भईया घुमे ल, मलारे मोर गाॅव....
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माटी माटी सोना हे, धनहा हमर भुईया हे
निलागर नदिया के कोरा म, चनवरी सुननसुनिया हे
अड़बड़ अकन तरिया हे, छग म सोर हे इहाके नाव
आबे भईया घुमे ल मलारे मोर गाॅव....
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तईहाके गोठ कहत हे, सोना इहा बरसे हे
हांडी-गुन्डी खड़बड़ हे, किस्सा कहानी अड़बड़ हे,
राजा रहिच शरभपुरिया, प्रसन्नमात्र जेकर नाव
आबे भईया घुमे ल मलारे मोर गाॅव....
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मिलन मलरिहा








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