शुक्रवार, 4 मार्च 2016

***बीचार***

***बीचार***
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कतको बढ़ीहा काम करन
सबोबर सुघ्घर नई बन सकन
कहूँ ह गारी देथे कहूँ ह जलथे
कहूँ ह चाली त कहूँ चमकाथे
आनीबानी-गोठ कहिके लड़वाथे
कछू काम कर दस खड़ा हो जाथे
अपन काम छोड़ तोर ल बिगाड़थे
जाने ओला का सकुन मिल जाथे
कभु मिलेजुले नई हे तेन मनखे
काबर हमला बईमान बताथे
किसम किसम के मनखे ए जग म
सबके हिरदय नई जीत सकन
हम कतको बड़ीहा रहीन
सबोबर सुघ्घर नई बन सकन
......................नई बन सकन
......................नई बन सकन
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

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