**कवि मोला झिन कईहा**
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कवि मोला झिन कईहा संगी
मयतो एक छत्तीसगढ़िहा अव
नांगर के जोतईया मय ग
बईला-भईसा के चरईया अव
कवि मोला..........................
चटनी बासी के खवईया मय ह
बर-छाईहा के सुतईया अव
फदके झगरा- लड़ाई हे कहूँ त
सबो के मय समझईया अव
कवि मोला..........................
मय तो मया बगरईया अव
दूखपीरा के पियईया अव
बुता-बनी कमईया अव ग
सबके बोझा बोहईया अव
कवि मोला..........................
मोटर न सईकल मोर दूवारी
उखरा गोड़ के चलईया अव
रेंगईया अव कई कोस मय हर
मूड़ी म खुमरी के बंधईया अव
कवि मोला..........................
बेलासपुर मल्हारे रहईया मय ह
निच्चट छत्तीसगढ़ी बोलईया अव
मनदिर मसजीद जवईया नोहव
दाई ददा के गोड़ चपकईया अव
कवि मोला..........................
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
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कवि मोला झिन कईहा संगी
मयतो एक छत्तीसगढ़िहा अव
नांगर के जोतईया मय ग
बईला-भईसा के चरईया अव
कवि मोला..........................
चटनी बासी के खवईया मय ह
बर-छाईहा के सुतईया अव
फदके झगरा- लड़ाई हे कहूँ त
सबो के मय समझईया अव
कवि मोला..........................
मय तो मया बगरईया अव
दूखपीरा के पियईया अव
बुता-बनी कमईया अव ग
सबके बोझा बोहईया अव
कवि मोला..........................
मोटर न सईकल मोर दूवारी
उखरा गोड़ के चलईया अव
रेंगईया अव कई कोस मय हर
मूड़ी म खुमरी के बंधईया अव
कवि मोला..........................
बेलासपुर मल्हारे रहईया मय ह
निच्चट छत्तीसगढ़ी बोलईया अव
मनदिर मसजीद जवईया नोहव
दाई ददा के गोड़ चपकईया अव
कवि मोला..........................
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
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