बुधवार, 9 दिसंबर 2015

साहेब छत्तीसगढ़ी गोठिया ले



** साहेब छत्तीसगढ़ी गोठिया ले **
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मया पीरा ल जान ले संगी
बोली-भाखा ल पहिचान ले
छत्तीसगढ़ी हे महतारी-भाखा
बचकानी के दिन बीचार ले
गाँव गलि के चिखला माटी
पैरा म सब खेलन उलानबाटी
छू-छुवाउल गिल्ली-डनडा
अउ खेलन संगे लुका-छिपी
मया पीरा के भाखा सोरिया ले
साहेब छत्तीसगढ़ी गोठिया ले.......
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अड़बड़ खाए अंगाकर रोटी
चिला ठेठरी अइरसा खुरमी
इडली डोसा के चक्कर परके
फरा अइरसा ल भूला डारे
चूल्हा गोरसी के आगी छोड़के
सुखसूबीधा के पागा बांधडारे
छत्तीसगढ़ी खटिया ल टोर
हिनदी ल पलंग बना डारे
मया पीरा के भाखा सोरिया ले
साहेब छत्तीसगढ़ी गोठिया ले.......
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काटागड़थे त दाई गोहराथन
छत्तीसगढ़ी म आसू गिराथन
सपनाघलो ओही म सपनाथन
दूख-दरद के गोठ बतियाथन
बरा सोहारी ओही म मानथन
पंडवानी करमा पंथी गाथन
नाचा ददरिया म दिन पहाथन
हिनदी ल महतारी कइसे मानले
मया पीरा के भाखा सोरिया ले
साहेब छत्तीसगढ़ी गोठिया ले.......
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मया पीरा ल जान ले संगी
बोली-भाखा ल पहिचान ले
छत्तीसगढ़ी हे महतारी-भाखा
बचकानी के दिन बीचार ले
साहेब छत्तीसगढ़ी गोठिया ले.......
साहेब छत्तीसगढ़ी गोठिया ले.......


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
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शनिवार, 5 दिसंबर 2015

****** पागा ****** दोहा

# पागा(मान)/ पगड़ी # दोहा
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 छत्तीसगढ़िया 'पागा', रख ग बने पोटार।
पागा गिरही जेन दिन,जाहि इमान बजार।।
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पईसा रुपिया सूध म, भागत हे सनसार।
इमान कइसे बिसाबे, रुपिया हे भरमार।।
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सूत सूत म बसे धरे, जीनगी के कमाय।
पागा खूलत देर हे, झटकुन ओहा जाय।।
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सरपंच के पागा गए, गाँव नाके कटाय।
मनखे ले गलती होए, परवार दूख पाय।।
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तीन-पाँच छोड़ मितान, ईमान रख कमाय।
बने बने के सबे हे, नइतो सब दुरिहाय।।
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रुपिया-मान जेन धरे, ओही मनुस कहाय।
जोर सकेल दुनो ल तय, पड़ाइ सरल उपाय।।
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मेहनत करले बेटा, पड़ाइ के दिन आय।
बोचकही बेरा तोर, फेर पाछु पछताय।।


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

**चला रे संगी**


चला रे संगी चला रे साथी 
घरोघर बहरी निकालबो रे
गाँव गलि ल सुवक्छ बहारके
छत्तीसगढ़ ल महकाबो रे
महतारी के ओनहा चिखलागे
खचवा डबरा ल पाटबो रे
जूरमिल सुवक्छ्ता गीत गाबो रे
चला रे संगी ....................

जोंगईया सबो करईया हे कोन
नेता बस बहरी धरईया रे
अधिकारी पाछू चलईया संगी
मिलजूल फोटू खिचवईया रे
आवत जावत देखावा करथे
कोनो नई हावय करईया रे
अपन गलि-घर खूद जतनबो रे
चला रे संगी .......................

हमला हे रहना गाँव-शहर म
त हमी ल हावय सजाना रे
आवा निकला घरघर ले संगी
सफाई अभयान ढोल बजावा रे
सबो जघा ल सुघ्घर चमकाके
छत्तीसगढ़ ल सरग बनाबो रे
सुवक्छता नारा मन म बसाबो रे
चला रे संगी ...........................

कचरा—कुबुध्दी ल टमरके-धरके
सड़क गलि-समाज ले निकालबो रे
मन-बीचार म बईठे दवेस जलन ल
निकालके सबझन फेकबो रे
जाति-पाति भेद राक्छस ल मारके
संगेसंग रहिबो जीबो-मरबो रे
सरग जईसन छत्तीसगगढ़ बसाबो रे
चला रे संगी ...............................

चला रे संगी चला रे साथी 
घरोघर बहरी निकालबो रे
गाँव गलि ल सुवक्छ बहारके
छत्तीसगढ़ ल महकाबो रे


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर