बुधवार, 10 मार्च 2021

एतिहासिक_धरोहर_मल्हार_नगर---- मिलन मलरिहा। Milan malariha...

 #एतिहासिक_धरोहर_मल्हार_नगर


आज महाशिवरात्रि ले हमर गाॅऺव मल्हार मा 15 दिन के मेला लगथे। रात के 12:00 बजें ले पातालेश्वर महादेव मंदिर म जल चढ़ाये बर जब्बड़ कतार लग जाथे। भीड़ अतका बाढ़ जाथे कि शासन-प्रसाशन ल व्यवस्था म लगे बर पर जाथे। 10-15 कोस के गांव जुनवानी, सुलौनी,  जलसों, शुकुलकारी, धूर्वाकारी, भरारी, केवतरा, बिनौरी,   पचपेड़ी, चकरबेड़ा, बुढीखार, थेम्हापार, जैतपुर, अकोला, बेटरी, बकरकुदा, जोरवा,टिकारी,परसदा जइसे आजू-बाजू गांव के मनखे जुरियाथे। आघू के बेरा गाड़ा बइला जोर परिवार सहित पहुंना आवय अउ पहुनाही पैरा सकेल गोदरी डिसाके बसेरा करके पंद्रा दिन काट डारय पर अब चलन बदल गे हे अबतो नवा-नेवरिया, नवछटहा नोनी-बाबू मन मोबाइल धरे फोटों लेवत देवत दार्शनिक जघा मनमा जादा घूमरत फिरत मिलथे। पहलीकस पहुॅऺना घलो अब कहां पाबे, सबके घर टीवी-सनिमा हे मोबाइल हे। ये तो होगे आने ताने के गोठ अब थोकिन इतिहास ल देखथन-

मल्हार तो पुरातात्विक नगरी (देवनागरी) के नाम ले प्रख्यात हे। छत्तीसगढ़ म चतुर्भुज विष्णु प्रतिमा के मूर्ती एकमात्र मल्हार उत्खनन ले प्राप्त होय हे जेन मल्हार ल छत्तीसगढ़ म विशिष्ट अउ अलग पहिचान दिलाथे। मल्हार  म सर्वप्रथम कल्चुरी वंश के शासन जाज्वल्यदेव शरणागत स्थापित होइस जेन वर्तमान म (जाज्वल्यदेव के नगरी) जांजगीर चांपा हे। पृथ्वीदेव द्वितीय के पुत्र जाज्वल्यदेव द्वितीय के शासन जब मल्हार परिक्षेत्र में रहिस तब मुख्य राजा (शासक) ब्रह्मदेव रहिस। इकरें शासनकाल म सोमराज नाम के एक विद्वान ब्राह्मण ह 1163 ई. म केदारेश्वर मंदिर (पातालेश्वर मंदिर मल्हार) ल बनवाइस जब मंदिर पूरा बनिस होही त मड़ई घलो जुरिस होही एला हम मल्हार मेला के शुरुआत मान सकथन। ये तो होगे तइहा के गोठ जब मंदिर छोटे रुप म रहिस। आज जो विशाल मंदिर जेला आप देखत हवव वो  छत्तीसगढ़ (बालपुर रायगढ़) के प्रसिद्ध साहित्यकार (पुरातत्व खोजी ) स्वं. #लोचन_प्रसाद_पाण्डेय के देन हे। सन् 1923 म पुरातत्व के खोज खातिर एक समूह- छत्तीसगढ़ गौरव प्रचार मंडली के स्थापना लोचन प्रसाद पाण्डेय जी के अगुवाई म होइस ये समूह आज महाकौशल इतिहास परिषद के नाम ले जाने जाथे। एकर अगुवाई म मल्हार म उत्खनन प्रारंभ होइस अउ विशाल पातालेश्वर सुसज्जित मंदिर आज सबके सामने हे, एला खुदाई करके खोज निकालिस।

मल्हार के गढ़ म 2009 से 2011 तक नागपुर के पुरातत्व टीम के निगरानी म पुनः खनन होइस जेमा शिलालेख, ताम्र सिक्का एतिहासिक धरोहर मिलिस। जेन मल्हार संग्रहालय म उपलब्ध हे आज भी मल्हार नगर के माटी भीतरी अनेक रहस्य लुकाय हे जेकर सबके आघू आना बाकी हे.......

🖋️--मिलन मलरिहा,📝