जेन संघर्ष करथे ओला अकेल्ला निकले बर पड़़थे कीचड़ ले कमल जगाए खातिर अंधियारी म दीया जलाना पड़थे सब्बो ओखर से अनजान होथे सनसार म जघा बनाए खातिर अपन खुद के मन ल मनाए पड़थे पंडवानी के भीम तो सबो होथे जब जबले मानव, मानव ल सताथे तब तबले कानूनी "भीम" बनके सनसार म सतपुरूस ल आए बर पड़थे milan kant
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