मंगलवार, 17 मार्च 2015

# मेरे युवा संघर्षरत हम मित्रो में लिए एक रचना आप सबकी ओर
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भागदौड़ गरीबी की आंधी ने झकझोरा 
संघर्षो के पवन ने उसे धकेला 
फिर होना ही था एक नया सवेरा
उम्मीद डगमगाएंगे है नीत नये तूफान
किसी ने हमें कहा
कविता तुम क्यों लिखते हर दरमियान ?
अब तो इन्ही का सहारा है
नहीं तो हमें किसने पहचाना है
राहे कठिन है, बाते आसान है
मैदान में आकर देखो
संघर्ष के राह तले खड़े लाखो जवान है
अभी खत्म नहीं हुआ है चिंताए
नीत नीत नए आयाम तैयार है
गुरु समझने की भूल न करना खुद को
गुरु के गुरु खड़े लाखो पहलवान है
मैदान में आकर देखो
संघर्ष के राह तले खड़े लाखो जवान है

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-मिलन कांत 
एक रचनाकार 


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