चुनाई
चुनाई ह जइसे जइसे तीरयावत हे
लबरा नेता घरो घर झांकत हे
दीदी बहिनी ददा दाई महतारी
कहिके मीठ मीठ गुठियावत हे
कंबल साडी रूपया पैसा देके
पांव तरी गीर जावत हे
चुनाई तक मनखे मनखे एक बरोबर
ओखर बाद जाती पाती के भेद सबोबर
आजादी कहा हे, हे! गरीब, छ.ग. के मनखे ?
जागव तुमन, ताकत ल पहिचानव अपन के
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मिलन कांत
नगर पंचायत मल्हार
चुनाई ह जइसे जइसे तीरयावत हे
लबरा नेता घरो घर झांकत हे
दीदी बहिनी ददा दाई महतारी
कहिके मीठ मीठ गुठियावत हे
कंबल साडी रूपया पैसा देके
पांव तरी गीर जावत हे
चुनाई तक मनखे मनखे एक बरोबर
ओखर बाद जाती पाती के भेद सबोबर
आजादी कहा हे, हे! गरीब, छ.ग. के मनखे ?
जागव तुमन, ताकत ल पहिचानव अपन के
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मिलन कांत
नगर पंचायत मल्हार
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