मंगलवार, 17 मार्च 2015

मोर नवा छत्तीसगढ़ी कविता **बड़का दाई** के छोटे अंस आप सबो बर ------
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मोर दाई ओ महतारी ओ 
तही मोर बड़का दाई ओ 
सेके-सवारे हमला बड़े करे
किस्सा कहानी रोज रथिया सुनाये
तइहा के गोठ घेरिबेरी समझाए
रमाएन महभारत मुहजुबानी बताये
अपन दुलरवा नाती मोला बनाये
गलती करेव त ददा मारे ल जब दाऊडाये
अपन लुगरा म सपटाए बचाये
तोर मया ल कइसे भुलावव ओ
मोर दाई ओ महतारी ओ
तही मोर बड़का दाई ओ
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मिलन कांत

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