मंगलवार, 17 मार्च 2015

छत्तीसगढी कविता ‪#‎बेटी‬'' के कुछ लाईन आप सभी के लिए (दैनिक भास्कर / सन् 2010 में प्रकाशित ) Milan Kant
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दाई के कोरा म लईका तरगे
बहनी संग जाके इसकूल म पढ़गे
पेल ढपेल के टींकू होगे दसमीं पास
दाई ददा ल बारवीं के घलो हे आस
दाई ददा टींकू ल पढ़ाईच सहर के आघु
बेटी ल पढ़ाईच गांव के पाछु
अब किसमत म होना रहीच खास
सिकरेट दारू बनगे टींकू के परम मितान
11वीं म टींकू रोज घुमथे मोबाइल के साथ
अब का बतावव टींकू के दूख भरे दसतान
दाई ददा के आस ल तोड़के बेटा होगे कुकर्मी
जेकर आस नई करीच तेन बेटी बनगे शिक्षाकर्मी
आज समझ म आगे भईया बेटा ले बड़ीहा बेटी
बेटा ह घर कुरिया ल उजारथे त सवारथे बेटी
दाई ददा ल रोवाथे बेटा त आसु ल पोछथे बेटी


॥ मिलन कांत
मल्हार बिलासपुर

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