सोमवार, 8 दिसंबर 2025

लौट आया हूॅं उसी जगह आठ वर्षों बाद...

जशपुर से रायगढ़ स्थानांतरण 02/12/2025


 लौट आया हूँ उसी जगह आठ वर्षों के बाद..

जैसे थमा हुआ समय, अब दे रहा है दाद।

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गली वही, पर चेहरा बदला, धुंधला है आकाश,

स्मृतियों की धूल में लिपटे, ढूँढूँ मैं अतीत का वास।

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 वो नीम का पेड़ अब भी खड़ा है, पर शाखें कुछ और बढ़ीं,

दहलीज़ पर वो निशान गहरे, जो बचपन में हमने गढ़ीं।

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लगता है, दीवारें भी पूछतीं, "कहाँ गए थे तुम इतने साल?"

आँखों में भर आया पानी, जब मिला स्मृतियों का जंजाल।

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 आठ वर्षों में, कितने मौसम, कितनी रातें गुज़रीं दूर,

कितने चेहरे बदले, कितने हो गए अब तो मजबूर।

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जीवन की दौड़ में भागे थे, मंज़िलें बदलती गईं,

पर इस मिट्टी की पुकार थी, जो अंदर ही अंदर बलती गई।

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 आज यहाँ खड़े होकर महसूसता हूँ, वही अपनापन, वही छाँव,

जैसे वक़्त ने करवट ली हो, पर न बदला हो यह शहर (गाॅंव)

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कुछ तो खोया, कुछ तो पाया, यह सफ़र कैसा विचित्र,

पुराने 'मैं' से मिलने आया, लेकर नया एक चित्र ।।


मिलन मलरिहा 

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