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मिलन मलरिहा 17/10/2025
भंडारपुरी
@Bhandarpuri_Dham
#bhandarpuri_dham
#@भंडारपुरी धाम
@ BHANDARPURI DHAM
#BHANDAR PURI Dham
#सतनाम धार्मिक केन्द्र
#सतनाम केन्द्र।
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माँ, तुम्हारी याद आती है...
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घर की चौखट पर, एक चेहरा है,
मेरी राह तकता, एक पहरा है।
वो चेहरा है माँ का, वो पहरा है उसका प्यार,
जिससे दूर हूँ मैं, पर वो है मेरी आधार।
दिन तो कट जाता है, काम की भाग-दौड़ में,
रातें सिसकती हैं, तेरी यादों के मोड़ में।
जब भी थकता हूँ, तेरा आँचल याद आता है,
तेरे हाथ का बना खाना, मन को बहुत भाता है।
सोचता हूँ, कितने जल्दी बड़े हो गए,
दुनिया की होड़ में, तुझसे दूर हो गए।
तुम बूढ़ी हो गईं हो माँ, ये सोचकर दिल रोता है,
काश! वो समय वापस आए, जो तेरी गोदी में सोता है।
माना कि नौकरी है, कुछ जिम्मेदारियाँ हैं,
पर तेरे बिना ये सब, बस मजबूरियाँ हैं।
लौट आऊँगा माँ, बहुत जल्द तेरे पास
यही सोचकर जी रहा हूँ, लिए एक छोटी सी आस।
मिलन मलरिहा 🙏
छत्तीसगढ़ मा जब जब मंचीय कला प्रस्तुति के गोठ होथे। तब तब भरथरी के विख्यात गायिका सुरुज बाई खांडे, पंथी के अंतराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कलाकार देवदास बंजारे। पंडवानी विधा के विख्यात गायिका पद्म विभूषण तीजन बाई, ऋतु वर्मा अउ पंडवानी विधा के पहली पुरुष वर्ग के प्रसिद्ध कलाकार झाडूराम देवांगन जइसे पुरोधा मनके सुरता तुरते मन मा आ जथे। अभी के समय के लोग-लइका मन पंडवानी गायिका तीजन बाई , पद्मश्री उषा बारले, सम्प्रिया पूजा निषाद, शांति बाई चेलक ल ही जान पाथे। जइसे रुख मा हर ढेखरा, पाना ल पंदोली देवइया थॅंघाली रहिथे अउ पूरा रुख ल बोहईया थाॅंघा अउ थाॅंघा ल बोहईया जरी रथे।
ठीक अइसने पंदोली के बुता कला-जगत पुरखौती गुरु के बताये रसता रहिथे। जेनला देखके, ओकरे जइसे बने के चाह मन मा धरके नवा कलाकार अपन मेहनत ले बड़े नामी कलाकार बनथे।
1960 सदी के बीतत बेरा म मंच के विशिष्ट पहचान पंडवानी के प्रथम यशस्वी पुरुष कलाकार स्व. झाडूराम देवांगन अउ पंथी विधा के नामी कलाकार देवदास बंजारे, प्रथम चर्चित पंडवानी गायिका श्रीमती लक्ष्मीबाई बंजारे रहिन। ये तीनों चर्चित नाम दुर्ग जिला के छोटे छोटे गाॅंव के रहइया आय। ओ बखत एमन दुर्ग जिला के सान कहलावय। आज छत्तीसगढ़ के गौरव हे। दुर्ग जिला साहित्यिक, कलात्मिक जिला के नाम ले आज तक गौरवान्वित हे। नाचा, गम्मत, रहस, गीत-गोविन्द के पार्टी, चंदैनी गोंदा, कारी, देवार ढेरा, सोनहा बिहान, लोरिक चंदा, लोकरंजनी जइसे किसम - किसम के कला मंच अउ कलाकार ल दुर्ग जिला के पावन माटी हा जनम देय हे।
स्थायी पता- डी-95, गुरघासीदास कालोनी, न्यू राजेन्द्र नगर रायपुर छत्तीसगढ़। जन्मभूमि- ग्राम टिकारी, तहसील मस्तूरी, जिला बिलासपुर (छ.ग.)
#सतनाम_पोथी (585 पृष्ट)
अनुक्रम:-
गद्य खण्ड प्रथम:-
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१. गुरु घासीदास जी का जीवन इतिहास
२. गुरु घासीदास जी की अमर कथाऍं
३. सतनाम धर्म में जैतखाम का एतिहासिक महत्व
४. ऐतिहासिक परिवेश
५. अमृतवाणी।
पद्य खण्ड द्वितीय:- (दोहा, चौपाई छन्दों में- 44 अध्याय)
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१. गुरु स्तुति
२. नर नारी का संग्राम
३. जगत धारी
४. सतखोजन दास
५. संतन दास
६. अमृत दास
७.दयालदास के विवाह
८. मेदनीदास का विवाह
९. मेदनीदास (परिवार) भटगांव छोड़ने का विचार
१०. महंगूदास का भटगांव में अवतार सन्१७८७-१७३१
११. गिरौधपुरी - महंगूदास जी का बाल चरित्र
१२. मेदनी दास जी के गिरौध में संत व्यवहार महिमा
१३. गृहस्थ आश्रम में महंगू दास एवं माता अमरौतिन चरित्र कथा
१४. मेदनी दास पत्नी- मायावती अंतिम चरित्र कथा
१५. अंग स्वर
१६. सत पुरुष के दर्शन महंगूदास ऑंगन
१७. माता अमरौतिन जी का स्वप्न के द्वारा प्रसाद खाना
१८. जननी द्वारा विधिव्रत पूजा
१९. गुरु दर्शन भेंट
२०. महंगूदास जी के आगमन पर संत जी के दर्शन गाय बछड़ा के खोज में
२१. मानव के मानवता
२२. सत्य अहिंसा
२३. सत आचरण
२४. आत्मज्ञान
२५.अतिथि सत्कार
२६.कर्म, कर्तव्य, वक्त
२७. महंगूदास पिता का उपदेश
२८. बिना आगी पानी सेवन
२९. गुरु घासीदास जी के नगर में सात दोहरा हंडा फॅंसकर निकला
३०. बालक चरित्र कथा-गिरौदपुरी धाम
३१. पिता-पुत्र चरित्र कथा
३२. गुरु घासीदास जी ने फसल चोरों से शपथ लेकर क्षमा प्रदान कर, बंधन को छोडना
३३. गुरु घासी के सतनाम प्रकासा महिमा जन जन में चर्चा
३४. जन्म भवन में बैठकर बाबा द्वारा सुबह-शाम सत्संग
३५. मनकू दास बाबा जी के बंधन दास पुत्र का अवतार
३६. गुरु अमरदास जी के बिदाई
३७. अमर गुफा के तपस्वीयों (सप्त ऋषियों में चर्चा)
३८. शयन समाधि पूरा करने के बाद अनिश्चितकालीन तक समाधि सफुरा माता जी का।
३९. बाबा जी का प्रथम तपस्या स्थल
४०. बाबा जी का दूसरी बार तपस्या प्रारंभ
४१. जन्म भवन में कन्या सहोद्रा का पिता का संदेश पुछना
४२. तीर्थ वासियों का स्वागत
४३. झलहा और केशो कन्या का संबोधन
४४. चौकीदार के रुप में सदोपदेश
४५. सत्पुरुष सतनाम साहेब के दरबार चरित कथा
४६. सत के परीक्षा
४७. सर्वप्रथम गुरु दर्शन-कऊवा ताल के तीन किसानों द्वारा
४८. बड़े भाई मनकू दास जी द्वारा स्वागत
४९. भवन द्वारा पर कन्या सहोद्रा कुमारी द्वारा पिता जी का स्वागत
५०. पुरी के संग-सखाओं द्वारा गुरु महिमा
५१. बछिया को जीवन दान
५२. गुरु घासीदास द्वारा शयन समाधि से सफुरा माता को उठाना
५३. कन्या सहोद्रा कुमारी को आशीर्वाद, वरदान
५४. छाता पहाड़ दर्शन
५५. धुनि मंदिर औरा-धौरा छाॅंव दर्शन
५६. गुरु बालक दास अवतार
५७. धर्म ध्वजा
५८. कन्या सहोद्रा कुमारी विवाह हेतु चर्चा विचार
५९. रणवीर सिंह के कन्या हरण कर लें जाने पर सफुरा माता द्वारा रक्षा
६०. कवर्धा जिला चौथी रावटी भंवरादा में
६१. पाॅंचवी रावटी डोंगरगढ़ (राजनांदगांव जिला)
६२. नैन में किरण प्रदान
६३. डोंगरगढ़ बम्लेश्वरी माई में बलिप्रथा बंद
६४. छठवां रावटी - कांकेर
६५. सातवां रावटी - बस्तर जिला चिराई पहुर स्थल
६६. गुरु आगर दास जन्म १८०३
६७. तेलासी पुरी बीच बस्ती -गुरु अमरदास समाधि लगाकर बैठ गये
६८. सात दिन पश्चात, तेलासी में जनजागरण
६९. अमरदास के व्याह की तैयारी (अमरदास जी का चमत्कार कथा)
७०. २५ वर्ष के अवस्था में गुरु अमर दास ने गृह आश्रम का त्याग किया।
७१. गुरु बालकदास जी की वैरागी साधु द्वारा नौ गाॅंव को दान भेंट में मिला (चरित कथा)
७२. गुरु घासी द्वारा अपने उत्तराधिकारी वंशज को संत उपदेश देना।
७३. गुरु घासी ने जगत के संत जनों के हीत लिए सतनाम धर्म का प्रतिक भेष बनाया।
७४. गुरु बालक दास बाबा जी के अंगरक्षक २४ घण्टे उनके साथ रहते।
७५. गिरौध तपो भूमि धुनि मंदिर व भण्डारपुरी के गुरु गद्दी भवन में कलश चढ़ाकर पताका लहराना।
७६. गुरु अमरदास एवं प्रताप पुरहिन माता जी का सुहागरात पूर्व संवाद वार्ता।
७७. राजमहंत अधारदास सोनवानी (ग्राम हरिन भट्ठा मालगुजार) चरित्र कथा।
गद्य खण्ड तृतीय:-
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१. संत उदादास जी
२. संत जगजीवन दास जी
३. सतगुरु वाणी
४. सतनाम संप्रदाय की वेशभूषा
५. सतनामी संतो की वाणी
६. साध सतनामी
७. संदर्भ ग्रंथ सूची।
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. संकलन : मिलन मलरिहा
मल्हार, मस्तूरी, बिलासपुर छ.ग.।