गुरुवार, 19 नवंबर 2015

*हाइकू* (वर्णिक छन्द)------------***फेसबुकिया वाटसफिया चोर***


फेसबुकिया 
वाटसफिया चोर
*हाइकू* मोर
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चोर हे चोर
भाजी साग जइसे
तरी म झोर ।          (1)

चटके हे जी
साहित्य के कराही
खो जर जाही ।       (2)

हकाल ओला
हमर बारी कोला
भरत हे झोला ।      (3)

काम हमर
अपन नाव लिखे
कवि तै दिखे ।       (4)

आने के बारी
टोरे भाटा मुरई
लेगत जाई ।          (5)

देखहू तोला
फेर काली आबे रे
लुटहू झोला।         (6)

कापी पेस्ट ल
झीन कर तयहा
अभी चेत ज।        (7)

चोरी लेख म
का पाबे रे गियान
उहे रुक ज ।        (8)

तै पकड़ाबे
जेनदीन पगला
मान गवाबे।          (9)

नाक तै कटाबे
संगीसाथी छूटही
त रोबे गाबे।         (10)
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मिलन मलरिहा 
मल्हार बिलासपुर

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