बुधवार, 2 दिसंबर 2015

**चला रे संगी**


चला रे संगी चला रे साथी 
घरोघर बहरी निकालबो रे
गाँव गलि ल सुवक्छ बहारके
छत्तीसगढ़ ल महकाबो रे
महतारी के ओनहा चिखलागे
खचवा डबरा ल पाटबो रे
जूरमिल सुवक्छ्ता गीत गाबो रे
चला रे संगी ....................

जोंगईया सबो करईया हे कोन
नेता बस बहरी धरईया रे
अधिकारी पाछू चलईया संगी
मिलजूल फोटू खिचवईया रे
आवत जावत देखावा करथे
कोनो नई हावय करईया रे
अपन गलि-घर खूद जतनबो रे
चला रे संगी .......................

हमला हे रहना गाँव-शहर म
त हमी ल हावय सजाना रे
आवा निकला घरघर ले संगी
सफाई अभयान ढोल बजावा रे
सबो जघा ल सुघ्घर चमकाके
छत्तीसगढ़ ल सरग बनाबो रे
सुवक्छता नारा मन म बसाबो रे
चला रे संगी ...........................

कचरा—कुबुध्दी ल टमरके-धरके
सड़क गलि-समाज ले निकालबो रे
मन-बीचार म बईठे दवेस जलन ल
निकालके सबझन फेकबो रे
जाति-पाति भेद राक्छस ल मारके
संगेसंग रहिबो जीबो-मरबो रे
सरग जईसन छत्तीसगगढ़ बसाबो रे
चला रे संगी ...............................

चला रे संगी चला रे साथी 
घरोघर बहरी निकालबो रे
गाँव गलि ल सुवक्छ बहारके
छत्तीसगढ़ ल महकाबो रे


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

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