जशपुर से रायगढ़ स्थानांतरण 02/12/2025
लौट आया हूँ उसी जगह आठ वर्षों के बाद..
जैसे थमा हुआ समय, अब दे रहा है दाद।
✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
गली वही, पर चेहरा बदला, धुंधला है आकाश,
स्मृतियों की धूल में लिपटे, ढूँढूँ मैं अतीत का वास।
✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
वो नीम का पेड़ अब भी खड़ा है, पर शाखें कुछ और बढ़ीं,
दहलीज़ पर वो निशान गहरे, जो बचपन में हमने गढ़ीं।
✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
लगता है, दीवारें भी पूछतीं, "कहाँ गए थे तुम इतने साल?"
आँखों में भर आया पानी, जब मिला स्मृतियों का जंजाल।
✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
आठ वर्षों में, कितने मौसम, कितनी रातें गुज़रीं दूर,
कितने चेहरे बदले, कितने हो गए अब तो मजबूर।
✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
जीवन की दौड़ में भागे थे, मंज़िलें बदलती गईं,
पर इस मिट्टी की पुकार थी, जो अंदर ही अंदर बलती गई।
✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
आज यहाँ खड़े होकर महसूसता हूँ, वही अपनापन, वही छाँव,
जैसे वक़्त ने करवट ली हो, पर न बदला हो यह शहर (गाॅंव)
,✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
कुछ तो खोया, कुछ तो पाया, यह सफ़र कैसा विचित्र,
पुराने 'मैं' से मिलने आया, लेकर नया एक चित्र ।।
मिलन मलरिहा