#गीत....
शनिचरी बजार मॅं, देखे रहेवॅं तोला ओ
अरपा के पार मॅं, देखे रहेवॅं तोला ओ
छुम छुम पैरी छनके,
एतीओती कनिहा मटके
लागे उॅंमर सोला ओ........
लकर धकर तैंहा आये, रेंगत रेंगत तैं टकराये
हलर हलर बेनी झुलके, हिरदे मॅं वो बान चलाये
टीपटाॅप झूमका वाली,
ओंठ तोरे लाली गुलाबी
दागे बम के गोला ओ........
नज़र तोरे एतिओती, कभू देखले मोरो कोती
मैं तो हॅंव दिवाना तोरे, सुध तो लेले एहू कोती
तैं आये बहार लाये
भीड़ तैं हजार लाये
हपेच डारे मोला ओ......
एक दिन मैं अगोरत रहेवॅं, तोला मैं टकोरत रहेवॅं
आये तैंहा झोला लेके, तोला मैं निटोरत रहेवॅं
खांध धरे देख परेंव मैं , आने संग भेंट परेवॅं मैं
हाथ ओकर तोर कनिहां मॅं,
अइसे कइसे भेंट परेवॅं मैं
आन आगे तोर जिनगानी
थमगे मोर मया कहानी
आगी बरगे चोला ओ........
शनिचरी बजार मॅं देखे रहेवॅं तोला ओ
अरपा के पार मॅं, देखे रहेवॅं तोला ओ.....
✍️ मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर छग
2012 सीएमडी कालेज बिलासपुर मॅं अंग्रेज़ी साहित्य के छात्र रहेंव....पर लिखत रहेंव छत्तीसगढ़ी 😀🙏
मैं ये गीत ल GoreLal Barman जी बर लिखें रहेंव... बर्मन जी भारी व्यस्तता के कारण या नापसंद के कारण नकार दिस लगथे?., फेर रचनाकार ल अपन रचना सुग्घर ही लगथे.......
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