सबले बड़का जानवर, घर मा बइठे आज। तभे हवा निरमल लगे, होगे कुदरत साज।। होगे कुदरत साज, ढाय जबले कोरोना । तही बतादे सोंच, कोन रोवत हे रोना।। बिन चिंता के सोय, मित्र आये हे जबले। पशु पक्षी हर जीव, कहत घूमत हे सबले।। । मिलन मलरिहा 🙏
सबले बड़का जानवर, घर मा बइठे आज।
तभे हवा निरमल लगे, होगे कुदरत साज।।
होगे कुदरत साज, ढाय जबले कोरोना ।
तही बतादे सोंच, कोन रोवत हे रोना।।
बिन चिंता के सोय, मित्र आये हे जबले।
पशु पक्षी हर जीव, कहत घूमत हे सबले।।
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रचना-मिलन मलरिहा
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