मंगलवार, 5 मई 2015


छत्तीसगढ़ी कविता **गांव के रहैया** के कुछ पंक्ति...
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ए जवइया तय गांव छोड़के कहा चले भईया
दुःख पीरा के संगी, हमर गांव के बहरा माटी
एला छोड़ तय नई पावच कोनो महल अटारी
तय तरिया के नहइया गुल्ली डंडा के खेलइया
नांगर जोतइया आमा चटनी बसी के खवइया
ए जवइया तय गांव छोड़के कहा चले भईया

जिहा जाबे लहुट आइबे अपन गांव हे बढ़िया
चारदिनिया सुहाही तोला शहर चकोरी भुइया
धुर्रा कचरा नाली मच्छर आउ हे सरहा पताल
सुग्घर चमके दिकथे उहा जम्मो में घर दुवार
बाहिर ले सरग तरी ले नरक बीमारी हे अपार
तय मेड़ के चलइया आउ खेत-खार के रेंगइया
ए जवइया तय गांव छोड़के कहा चले भईया

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