*जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया*
#_प्रथम_पुण्यतिथि _ सादर नमन
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तूमा नार बखरी मा रोवत, पाके चार होगे करिया जी ।
गोहरावत छंईहा भुंईया, तै कहाँ गये मस्तुरिया जी ।
परें डरें अऊ गिरे हपटे मनखे ब ढेखरा कोन गड़ाही।
सुमित के सरग निसैनी गढ़के सबला ला कोन रेंगाही।
कोन बताही अरपा-पैरी, गंगा ले सुग्घर फरिया जी.......
परबुधिया टेड़गा मनखे ला, कोन फटकार लगाही
छँईहा भुंईया छोड़ जवईया के फेर कोन चेत जगाही
छत्तीसगढ़िया झिन जाबे, खेत ल छोड़के परिया जी......
डोंगरी मँ मऊँहा छाय रहय जब आवय मांघ फागुनवा
खेत-खार जंगल सब झुमरय, मन हिलोर डारै किसनवां
बिन सुर धार कइसे पलही , सुख्खा होगे तरिया जी........
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मिलन मलरिहा
मल्हार ,मस्तुरी बिलासपुर छग
Great mere bhai
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