रविवार, 13 मई 2018

माँ

माँ........
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हे माँ! मैंने तेरे  लिए  किया ही क्या ?
आजतक मैंने, तुझको दिया ही क्या ?
जो किया,  मैंने  खुद के  लिए किया ?
बस दिया, मुझसे  तुने लिया ही क्या ?

आपने मुझमें पल पल सभ्यता गढ़ी
पर मैनें एकबार भी निभाया ही क्या.....
हे माँ! मैंने तेरे  लिए  किया ही क्या ?

आपने पत्थर में कमल खिला ही दिया
पर कमल पत्थरों में घर बसाया ही क्या.....
हे माँ! मैंने तेरे  लिए  किया ही क्या ?

मेरे लिए आपने कितनी यातनाएं सही
पर तुने कभी मुझे दुख जताया ही क्या......
हे माँ! मैंने तेरे  लिए  किया ही क्या ?
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रचना--
मिलन
        मलरिहा

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