बुधवार, 8 जून 2016

बहनी एक बनाले

कालेज जाके तैहा संगी, बहनी एक बनाले
हो जाही पढ़हाई सफल, इही गीत ल गाले
दोसती यारी उलझाही, पिच्चर तोला देखाही
मोबाईल म गोठ कर-करके रोज तोला घुमाही
जिनगी म का रखे हे यार... कहिके समझाही
बिड़ी सिकरेट दारु बीयर पहली सब सिखाही
इहीच बिगड़े के पहली रद्दा, एकरे ले दूरिहाले
कालेज जाके तैहा ..................................

उमर होथे लटर-पटर के, कालेज ओही कहाए

20-21 के उमर होथे, गोड़ तरी बिच्छल आए
खिचाव-तिराव म जाए मन, रखव ग समझाए
पढ़हाई बेरा एकेचबार आथे, एला झीन भुलाए
मटरगस्ती बर उमर पड़ेहे, मन ला संगी मनाले
कालेज जाके तैहा ..................................

कम्पटीसन हे गलफरेन्ड बर सबो हे झोरसाय

खुद ल हीरो देखाय खातिर करत सकल उपाय
झन मिलय फारम खुदबर, ओकर बर भिड़ाय
पढ़हाई के आधा बेरा इसने बुता म निकल जाय
सुन ले भाई मलरिहा गोठ, अपन माथा म घुसाले
कालेज जाके तैहा ....................................

दाई-ददा ह बुढ़वा होगे, थोरकुन तैहां बिचारले

बेरा निकलत दउड़त भागत, सही काम म लगाले
पास होए म का धरे हे परसेन्ट ल घलो सुधार ले
गरीब के बेटा हवच रे, पढ़ाई-गढ़ाई दुनो ल धरले
नऊकरी बर भीड़ लगे हे, लाखों म जघा बनाले
कालेज जाके तैहा .......................................
कालेज जाके तैहा संगी, बहनी एक बनाले
हो जाही पढ़हाई सफल, इही गीत ल गाले

मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

**कहाँ गंवागे मोर गांव**

**आखरी बेरा** 2

**आखरी बेरा**
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काबर मति छरियाथच बबा
तोरगोठ कोनो नइ मानय जी
उमर खसलगे झीन गुन तैहा
बिगाड़य चाहे जतनय जी
दिन उंकरे हे मानले तय
संसो टारके चुप देखव जी
करेनधक सियानी नवाजूग हे
कलेचुप किस्सा सुना जी
तोर बनाए नइ बनय कछु
फेर का बात के मोह तोला
का बात के मया जी
का बात के गरभ हे सियान
मोला तय बताना जी......
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कतेक रुपिया कतेक पईसा
कतेक साईकिल गाड़ा भईसा
ए जिनगी के ठुड़गा बमरी
एकदिन चुल्हा म जोराही
जाए के बेरा अकेल्ला जाबे
कोनो संग म नई जाही
जिनगी के आखरी बेरा
सब्बो दूरिहा हट जाही
दूई दिन रो-गा के ओमन
महानदि म तोला फेक आही
दसनहावन म जम्मो जुरके
तोर बरा सोहारी ल चाबही
फेर का बात....................
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तय ह सिधवा गियानी बने
लईका होगे आने- ताने
चारो कोती तय मान कमाएँ
नाती-पोती सब धूम मचाएँ
बनी-भूति, कमा-कोड़ के
खेत बारी-भाठा ल सकेले
टूरा-टूरी फटफटी खातिर
छिनभर म ओला ढकेले
तोर खुन-पसीना के कमाई
किम्मत दूसर का जानय जी
फेर का बात....................
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गाँव गाँव तोर गियान फइले
घरो-घर तोर बात म चले
अपन घर-छानही धूर्रा मईले
जइसे दिया तरी मुंधियार पेले
अब कब आही तोर घर अंजोर
बइठके डेहरी करत सोंच
अंगाकर रोटी ल टोर-टोर
चार कोरी बेरा जिनगी पहागे
नाती छंती के दिन आगे
अब बनावय चाहे बिगाड़य जी
फेर का बात....................
)
मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर

** मोर बहरा खार म रोवत हे रुख—राई **

''*******बेटी के दुख******'' 1-6-16