मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

***छत्तीसगढ़ी लदकागे रे***



सेमी के नार म जईसे मैनी लुकसी छागे रे
पररजिहा भाखा तरी छत्तीसगढ़ी लदकागे रे

तीवरा के भाजी तैहा होगेच ओमन होगे बटुरा
महतारी भाखा होगे बैरी उड़िया कइसे हितवा 
छत्तीसगढ़ी बिछागे बोलइया घलो लजावतहे रे
हमरे खेत के धान खाके उड़िया-सड़वा मोटागे रे
गहुँ बर पलोएव पानी बन-दूबी हर बने पोठागे रे
पररजिहा भाखा........................................

भाखा हे चिनहारी संगी इही हवय हमर ईमान 
माटी हवय दाई के अचरा हरियर हमर पहचान 
तुमा तरोइ छानही चढ़के झिन होरा ल भूँजबे
जरी नार काट खाही त ओहिमेर भँवाके गिरबे 
अपन भाखा जरी काटवाके तुमा कस पटकागे रे
पररजिहा भाखा........................................

भाटा बारी म मुसवा हर बीला खोदत हे
पररजिहा गोठ बोली दीयार सही छावत हे
छत्तीसगढ़ी बीही बारी म अमरबेल घपटत हे
जाम-बीही ल बिहारी बेन्दरा रउन्दत टोरत हे
हमरे बारी खेत म अपन भाखा भाजी जगागे रे
पररजिहा भाखा........................................

भाखा के बल पाके उड़िया राईगढ़ ल चपेलही
बिहारी बेन्दरा कुद नाचके घर म कबजा करही
महतारी भाखा तोर भुलवारके अपन ल चलाही
छत्तीसगढ़ी हे हमर चिनहारी झिन एला भूलाबे रे
संसकिरति हमर पररजिहा सेतिर कती गवागे रे
पररजिहा भाखा........................................
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

नव दिनबर आए दाई

नव दिनबर आए दाई
मनदिर तोर सजगे ओ
नवरात्री मल्हार रतनपुरे
ढोल नंगाड़ा बजगे ओ
पहली दिन आए शैलपुत्री
हिमालय के बेटी कहाए ओ
दूसरेच दिन आए ब्रह्मचारनी
तपस्या के मान बताए ओ
नव दिनबर......................

तीसरदिन दाई चन्द्रघनटा
दसो हाथ आशिष देहे ओ
चौथा दिन हे कुसमान्डा
अलख ब्रह्मान्ड बसाए ओ
नव दिनबर....................

पाचवेदिन दाई स्कंदमाता
जीवजनतु ल आसीस देहे ओ
छठे हे दिन कव्यायनी दाई
बैधनाथ म बइठे बिराजे ओ
नव दिनबर......................

सातवे दिन हे कालरातरी
तय काली खप्परवाली ओ
आठवेदिन म दाई महागौरी
शिव-पारवती जगदम्बा ओ
नव दिनबर......................

सिद्धीदातरी नवेदिन ए दाई
नंदा परवत वासीनी दाई
अधानारीपुरुष तोर रुप ओ
मलरिहा खड़े आसीस बर
डिड़ीनदाई दरसन दे दे ओ
नव दिनबर आए दाई
मनदिर तोर सजगे ओ
नवरात्री मल्हार रतनपुरे
ढोल नंगाड़ा बजगे ओ।।


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर